
कुछ दिन बाद उस किसान का घोडा खुद-ब -खुद चलकर उसके घर वापिस आ गया। यही नहीं वह घोड़ा अपने साथ कई तरह के जंगली घोड़े एवं घोड़ियाँ भी ले आया। जब गाँव वालों को घोड़े के साथ इतने और घोड़े आने की खबर मिली तो सभी गाँव वासी उसके घर बधाई देने आ गए। वह उस किसान से कहने लगे आप तो सचमुच बहुत ही भाग्यशाली हैं। आपका एक घोड़ा क्या गया पूरी घोड़ों की फौज ही साथ ले आया। आपका तो भाग्य ही चमका दिया आपके घोड़े ने। परन्तु उस बुजुर्ग किसान ने गाँव वालों की बात पर ठहाका लगाया और कहने लगा, मेरे लिए तो सिर्फ मेरा घोड़ा ही वापिस आया है। कल क्या होना है किसी को कुछ पता नहीं है।'
अगले दिन उस बुजुर्ग किसान का बेटा एक जंगली घोड़े की सवारी करते-करते गिर गया और उसकी काफी हड्ड़ियाँ भी टूट गईं। गाँव के लोग उसके बेटे का हालचाल पूछने आए और उसे अपनी सहानुभूति दिखाई। कई लोग कहने लगे इससे अच्छा तो आपका घोड़ा वापिस ही न आता। और न आपका पुत्र उसके साथ आये जंगली घोड़े की पीठ से गिरता। बुजुर्ग ने धैर्य पूर्वक कहा, किसी को भी किसी पूर्ण निष्कर्ष पर पहुँचने की जरुरत नहीं है। मेरे पुत्र के साथ सिर्फ एक दुर्घटना हुई है जो किसी के भी साथ घट सकती है। और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।'
कुछ दिन बात उस नगर के सिपाही उस गाँव में आए और गाँव के सभी युवाओं को अपने साथ ले गए। क्योंकि राजा को पड़ोसी देश से युद्ध करना था और इसके लिए नए सिपाहियों की भर्ती जरुरी थी। उस बुजुर्ग किसान का बेटा क्योंकि बुरी तरह घायल था और युद्ध में किसी काम का नहीं था, इसलिए उसे राजा के सैनिक अपने साथ नहीं लेकर गए। गाँव के लोगों ने उस बुजुर्ग से अपना दुःख साँझा करते हुए कहा, 'हमने तो अपने युवान पुत्रों को खो दिया है। राजा का दुश्मन बहुत ताक़तवर है। युद्ध में हमारे राजे की हार निश्चित है। और हमारे पुत्र शायद अब कभी सही सलामत घर नहीं आएँगे। आप बहुत भाग्यशाली हैं कि आपका पुत्र आपके साथ है।'
उस बुजुर्ग ने उन सबको समझाते हुए कहा, 'असल में अभिशाप और आशीर्वाद में सिर्फ आपके दृष्टिकोण का ही अंतर् होता है। इसलिए इस बात को सदैव याद रखें कि किसी भी चीज़ को हमेशा सिर्फ अपने निजी दृषिकोण से ही परिभाषित न करें। अगर आप
उन परिस्थितियों में छुपे रहस्य को देखेंगे तो परिणाम सदा सुखद ही होंगे।
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